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“एशिया कप फाइनल में तिलक वर्मा का यादगार प्रदर्शन": सूर्यकुमार यादव

By Mumbai Indians

तिलक वर्मा भले ही सिर्फ 22 साल के हों, लेकिन उनके पास अब अपने क्रिकेट करियर के लिए एक ऐसी पारी है, जिसे हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने 10/2 के स्कोर पर मोर्चा संभाला और देखते ही देखते स्कोर 20/3 हो गया। भारत पाकिस्तान से खेल रहा था। और मौका एशिया कप का फाइनल था। दांव पर सब कुछ लगा था। लेकिन उम्मीद अभी भी बाकी थी।

साथ ही कप्तान सूर्यकुमार यादव भी तनाव में नहीं थे।

उन्होंने विमल कुमार के साथ उनके यूट्यूब चैनल पर बातचीत में कहा, "जब हम साउथ अफ्रीका में थे, जहां उन्होंने T20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में दो शतक जड़े थे, तब हमें समझ में आ गया था कि तिलक वर्मा शानदार फॉर्म में आ चुके हैं। लेकिन असली तिलक वर्मा का तूफानी प्रदर्शन एशिया कप फाइनल में आया।

69 रन | 53 गेंदें | 3 चौके | 4 छक्के

तिलक कड़ी मेहनत करने में खुश थे। वह शॉट मिस करने पर भी खुश थे। वह धैर्य के साथ खेलकर खुश थे। वह सब कुछ शांत और समझ कर खेलने में खुश थे।

सूर्यकुमार ने कहा, "अगर आपने ध्यान दिया हो, तो रिवर्स स्वीप और स्विच हिट उनके पसंदीदा शॉट हैं। इतना कि वह इसे खेले बिना रह ही नहीं सकते। लेकिन अगर आपने फाइनल में देखा हो, तो उन्होंने एक बार भी वो शॉट नहीं खेला।"

उन्होंने आगे कहा, "मैं इसी अनुशासन की बात कर रहा हूं। इतनी कम उम्र में समझदारी के साथ खेलना वाकई तारीफ के काबिल है। जिस तरह से उन्होंने लक्ष्य का पीछा करते हुए अपनी पकड़ बनाए रखी, कभी-कभी रन ज्यादा और गेंदें कम होती थीं, लेकिन उन्हें इसकी पूरी समझ थी। पहले ड्रिंक्स ब्रेक के दौरान, गौती भाई (गंभीर) ने आकर उनसे कहा कि अंत तक खेलो और मैच जीतो। उन्होंने ठीक वैसा ही किया। कहना आसान है, करना मुश्किल। सिर्फ खेलने वाला ही जानता है कि खेल कैसा चल रहा है, औक क्या परिस्थिति है। ऐसे समय में शांत रहना और सही फैसले लेना कमाल की बात है।"

यह खून में दौड़ता है, उस खून में जो नीला और सुनहरा है। ऐसे ही पलों के लिए हमारे खिलाड़ियों ने प्रशिक्षण लिया है। जब से वह 2022 में अंडर-19 विश्व कप जीतकर 18 साल की उम्र में मुंबई टीम में आए हैं, तब से उनकी अग्नि परीक्षा जारी है। और वह इससे हर बार और मजबूत होकर निकले हैं, पूरी तरह तैयार होकर!

सूर्या ने कहा, "हम सभी, मैं, (जसप्रीत) बुमराह, तिलक, रोहित (शर्मा), हार्दिक (पांड्या), जिस टीम के लिए हम भारत से पहले खेलते थे। वह मुंबई इंडियंस है, जो एक गुरुकुल की तरह है। यह एक संस्था है। परंपरा, प्रतिष्ठा, अनुशासन है।"

उन्होंने कहा, "उस गुरुकुल में खिलाड़ी तैयार होते हैं। हर कोई उस परिवार में स्टूडेंट की तरह आता है। वे आते हैं, पढ़ते हैं, प्रैक्टिस करते हैं, परीक्षाएं (मैच) देते हैं। हम जिन परिस्थितियों में बल्लेबाजी करते हैं, भारत के लिए खेलते समय हम उसे दोहराने की कोशिश करते हैं। इसलिए जब तिलक भारत के लिए खेलते थे, तो वे पूरी तरह तैयार रहते थे। उन्होंने ऐसी पारियां खेली थीं। वे ऐसी परिस्थितियों में खेल चुके थे। उन्हें पता था कि उन्हें क्या करना है।" 

तिलक वर्मा आप हमारी शान हो! और आने वाले समय में ऐसा ही शानदार प्रदर्शन करते रहो।