
ज्यादातर टीमें पावरप्ले में लेग स्पिनर का उपयोग नहीं करती हैं लेकन उनमें विकेट लेने की क्षमता होती है: पीयूष चावला
मुंबई इंडियंस ने अरुण जेटली स्टेडियम में दिल्ली कैपिटल्स को 6 विकेट से हराकर आईपीएल के इस सीज़न में अपनी पहली जीत दर्ज की।
हमारी टीम की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले चैंपियन स्पिनर पीयूष चावला ने दिल्ली के बल्लेबाजों को अपने फिरकी में फसाते हुए तीन विकेट अपने नाम किए। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय सरजमीं पर 250 T20 विकेट भी पूरे कर लिए। मैच के बाद पीयूष ने मीडिया से बात की।
इम्पैक्ट प्लेयर नियम पर आपकी क्या राय है? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “इम्पैक्ट प्लेयर नियम के कारण अब खेल और ज्यादा दिलचस्प हो गया है। अगर आप बल्लेबाजी टीम को देखें, वो नंबर 8-9 तक बल्लेबाजी करते हैं। यह एक टीम के तौर पर काफी अंतर पैदा करती है। अगर आप अच्छी बैटिंग विकेट पर खेल रहे हैं तो 210-220 रनों का पीछा करना भी आसान है।”
34 वर्षीय गेंदबाज से पूछा गया कि फिट रहना कितना महत्वपूर्ण है? इसपर उन्होंने कहा, “मैं घरेलू या प्रतिस्पर्धी क्रिकेट ज्यादा नहीं खेल रहा हूं लेकिन इस बात को सुनिश्चित करता हूं कि मुझे जितना भी खेलने का मौका मिले मैं अपना सौ प्रतिशत प्रयास करूं। क्योंकि जब आप किसी कल्ब मैच के लिए खेलने जाते हैं और आप बिना तैयारी के जाते हैं तो ऐसे में आप अपना आत्मविश्वास खो देते हैं। आप आते हैं और सिर्फ गेंदबाजी करते हैं लेकिन मैं अपनी पूरी क्षमता से गेंदबाजी करने की कोशिश करता हूं।
2007 में उद्घाटन संस्करण में भारत के साथ T20 विश्व कप विजेता, पीयूष चावला ने अंतरराष्ट्रीय, घरेलू और अन्य टूर्नामेंट समेत 250 से अधिक T20 मैच खेले हैं।
एक रिपोर्टर ने पूछा कि क्रिकेट में लक्ष्य का पीछा करना कैसे विकसित हुआ है, और कैसे एक लेग स्पिनर T20 क्रिकेट जैसे तेज गति वाले प्रारूप में भूमिका निभा सकता है? उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में T20 क्रिकेट कैसे खेला जाता था, 160-170 अच्छा स्कोर हुआ करता था। लेकिन आज, यह पहले जैसा नहीं है, जब तक कि विकेट में कुछ मदद न हो तो 170 अच्छा स्कोर है नहीं तो 190 या उससे ज्यादा भी आराम से चेज हो जाता है। लेकिन लेग स्पिनर टीम के लिए विकेट लेने का विकल्प होते हैं, जैसा कि आप उन्हें खेल में कभी भी उपयोग कर सकते हैं। मैंने देखा है कि अधिकांश टीमें पावरप्ले में लेग स्पिनर का उपयोग नहीं करती हैं लेकिन मैंने इसमें कई बार गेंदबाजी की है। ऐसे प्रारूप में, आपको बार-बार विकेट लेने की आवश्यकता होती है। हमने 14 और 15 रन प्रति ओवर की दर से रनों का पीछा करते हुए देखा है। ऐसे में एक लेग स्पिनर के विकेट लेने की क्षमता बढ़ जाती है।
DC बनाम MI का मुकाबला मैच के आखिरी गेंद तक गया, यह मैच एक रोमांचक थ्रिलर जैसा था। पीयूष ने इस पर अपनी बात रखी। “जैसा कि रोहित (शर्मा) ने कहा बल्लेबाजी की बात करें तो इस पिच (अरुण जेटली स्टेडियम) पर बल्लेबाजी करना आसान नहीं था। हम सभी, जिनमें मैं भी शामिल था, ने सोचा कि ये विकेट 170-190 के स्कोर जैसा है।
जिस तरह से रोहित ने ईशान के साथ बल्लेबाजी की और हमें नई गेंद से अच्छी शुरुआत दी हमारे लिए वह काफी महत्वपूर्ण था। छह ओवर में 70 रन बनाना एक शानदार शुरुआत है, और इसने चेज में हमारी गति निर्धारित की। शानदार शुरुआत के बाद भी मैच अंतिम गेंद तक गया, ऐसे में आप समझ सकते हैं कि पिच पर खेलना इतना आसान नहीं था। तिलक की तरह सभी ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की।”