News

2020 में #OnThisDay: हर एडिलेड के बाद एक मेलबर्न आता है

By Mumbai Indians

क्रिकेट इतिहास में कुछ मुकाबले सिर्फ जीत या हार नहीं होते, वे सोच बदल देते हैं। ऐसा ही एक पल भारतीय क्रिकेट ने #OnThisDay, साल 2020 में देखा, जब असंभव लगने वाली वापसी ने एक पूरी सीरीज की दिशा ही बदल दी।

कल्पना कीजिए, विदेशी जमीन पर टेस्ट सीरीज, करारी हार और 36 रन पर ऑलआउट। यह भारत का टेस्ट क्रिकेट में अब तक का सबसे कम स्कोर था। पहले टेस्ट में मिली इस शर्मनाक हार के बाद ऑस्ट्रेलिया 1-0 से आगे हो चुका था। क्रिकेट जगत में लगभग सर्वसम्मति थी कि सीरीज अब भारत के हाथ से निकल चुकी है और व्हाइटवॉश तय है।

पहले टेस्ट के बाद सीरीज प्रतिष्ठित बॉक्सिंग डे टेस्ट के लिए मेलबर्न पहुंची। बाहर का माहौल संदेह, आलोचना और भविष्यवाणियों से भरा हुआ था। लेकिन भारतीय ड्रेसिंग रूम के अंदर तस्वीर बिल्कुल अलग थी।

इस मुकाबले में दो नए चेहरे मैदान पर उतरे शुभमन गिल और मोहम्मद सिराज। टीम की कमान संभाली अजिंक्य रहाणे ने। पिछला टेस्ट हार चुके कप्तान टीम में नहीं थे, लेकिन बहानों की कोई जगह नहीं थी। सिर्फ शांत आत्मविश्वास और मजबूत इरादा था।

मेलबर्न टेस्ट में अजिंक्य रहाणे ने कप्तान के तौर पर एक यादगार पारी खेली। पहली पारी में उनका 112 रन का शतक तकनीक, संयम और मानसिक मजबूती की मिसाल था। ऐसा लगा मानो उनका हर रन आलोचकों को करारा जवाब दे रहा हो।

रहाणे को शानदार साथ मिला रविंद्र जडेजा का, जिनकी अहम पारी ने 121 रन की जरूरी साझेदारी बनाई। यहीं से मैच का रुख बदलने लगा। भारत ने धीरे-धीरे लेकिन मजबूती से मैच पर पकड़ बना ली।

अगर बल्लेबाजी ने नींव रखी, तो गेंदबाजी ने जीत पर मुहर लगाई। जसप्रीत बुमराह ने लीड फ्रॉम द फ्रंट करते हुए ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों पर दबाव बनाए रखा। पहली पारी में 4/56 और दूसरी पारी में 2/54 के शानदार आंकड़ों के साथ उन्होंने यह साफ कर दिया कि भारत इस टेस्ट में सिर्फ़ मुकाबला करने नहीं आया है, बल्कि जीतने आया है।

सिर्फ चार दिनों में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हरा दिया। इस जीत के साथ सीरीज 1-1 से बराबर हो गई और पूरी कहानी ही पलट गई। 36 पर ऑलआउट होने वाली टीम अब आत्मविश्वास से भरी हुई थी और सीरीज में पूरी तरह वापस आ चुकी थी।

मेलबर्न टेस्ट आज भी सिर्फ़ एक जीत के तौर पर याद नहीं किया जाता, बल्कि एक सोच के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह मैच बताता है कि क्रिकेट और ज़िंदगी में हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हों, भरोसा और मेहनत वापसी का रास्ता जरूर दिखाते हैं।