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डब्ल्यूटीसी फाइनल में भारत की यात्रा के वो पल जिसने हमारे दिलों को छुआ

By Mumbai Indians

न्यूज़ीलैंड में निराशा हाथ लगने से लेकर ऑस्ट्रेलिया में एक शानदार जीत हासिल करने तक, और उसके बाद घरेलू सरजमीं पर चला जीत का एक रोमांचक सिलसिला... सच कहें तो भारत की पहले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल तक की यात्रा बहुत उतार-चढ़ाव वाली रहीं।

सबसे मज़ेदार बात यह थी कि भारत को हराने वाली एकमात्र टीम ही फाइनल मुकाबले में उनके सामने थी। ऐसे में आप यह कह सकते हैं कि इस मैच को जीतकर टीम इंडिया क्रिकेट की दुनिया में अपने प्रभुत्व को साबित करने के लिए तैयार थी!

भारत ने जो सत्रह मैच खेले हैं उनमें से टीम 12 मैच जीतने में सफल रहीं। यह सिलसिला वेस्ट इंडीज के दौरे के साथ शुरू हुआ, जहां से भारतीय क्रिकेट टीम ने डटकर खेलने और जीत को अपनी झोली में डालने का सिलसिला शुरू किया।

विंडीज के खिलाफ दो ज़बरदस्त जीत हासिल करने के साथ भारत डब्ल्यूटीसी में अच्छी शुरूआत कर सकता था! 318 रन की जीत के बाद 257 रन की जीत और 120 अंक हासिल करते हुए टीम तेजी से आगे बढ़ी।

इसके बाद टीम का तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में दक्षिण अफ्रीका से सामना हुआ। जहां 203 रनों से जीत, एक पारी और 137 रन की जीत और एक पारी और 202 रन की जीत के बाद भारत अब तक खेले गए डब्ल्यूटीसी खेलों में 100 फीसदी जीत के रिकॉर्ड के साथ आगे बढ़ा।

भारतीय प्रशंसक 2019 विश्व कप के दिल टूटने वाले नतीजों के बाद कुछ ऐसे ही परिणाम देखना चाहते थे। टीम को जीतते देख लोगों के दिलों में गर्व और खुशी की लहर दौड़ गई, और इस तरह की शुरुआत का मतलब था कि भारत एक बॉस की तरह अपनी जीत की राह पर वापस लौट आया था।

टीम की अगली चुनौती पड़ोसी देश बांग्लादेश के रूप में थी। हालांकि, यह टेस्ट भारत के लिए बहुत आसान लग रहा था, टीम ने दो बड़ी पारियों में जीत दर्ज की - पहली 130 रन से और दूसरी 40 रन से। इस समय तक भारत एकमात्र ऐसा देश था जिसने अब तक खेले गए सभी डब्ल्यूटीसी मैच जीते थे।

आत्मविश्वास से भरपूर और हराई न जा सकने वाली टीम के तौर पर भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अगस्त 2019 के बाद अपना पहला मैच खेलने के लिए न्यूजीलैंड के लिए उड़ान भरी। वहां पर भारतीयों को कीवी टीम के सामने मुश्किलों का सामना करना पड़ा, जहां एक मेहमान टीम के तौर पर भारत को 10 विकेट से हार का सामना करना पड़ा।

इसके अगले मुकाबले में सात विकेट से हार का सामना करना पड़ा, और इस तरह से भारत डब्ल्यूटीसी शुरू होने के बाद पहली बार सीरीज हारने वाली टीम के तौर पर खड़ी थी। यह सीरीज 0-2 से हारने के साथ ही भारत ने COVID-19 के कारण दुनिया भर में लॉकडाउन की वजह से अपने इस अभियान को समाप्त कर दिया।

क्रिकेट से साढ़े आठ महीने दूर रहने के बाद पूरा भारत बहुत उत्सुकता से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अगली टेस्ट सीरीज की प्रतीक्षा कर रहा था।

जब बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी शुरू हुई, तो दुनिया को इस महत्वपूर्ण सीरीज के बारे में बहुत कम ही जानकारी थी, जो उनका इंतजार कर रही थी। यहां भी शुरुआत में भारत के लिए हार का सिलसिला जारी रहा। पहले गेम में टीम 36 रनों पर ही ऑल आउट हो गई, और यह स्कोर जीत हासिल करने के हिसाब से बहुत कम था।

आठ विकेट गिरने के बाद कई आलोचकों ने यह कहना शुरू कर दिया भारत हार जाएगा। कुछ ने तो ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए 4-0 से जीत की भी भविष्यवाणी भी कर दी। खासतौर पर भारतीय कप्तान विराट कोहली और मोहम्मद शमी की गैरमौजूदगी की वजह से ऐसे सवाल लगातार उठ रहे थे।

दूसरे मैच में स्टैंड-इन कप्तान अजिंक्य रहाणे का शतक और भारत की ओर से अच्छी गेंदबाजी (इस मुकाबले में जसप्रीत बुमराह के 6 विकेट और अश्विन और नवोदित मोहम्मद सिराज को पांच-पांच विकेट झटके, जिसके चलते भारत 8 विकेट से जीत हासिल करने वाली टीम बनी। इसी के साथ टीम आगे बढ़ी और अगले गेम के लिए उनका थोड़ा आत्मविश्वास भी बढ़ा।

इस मुकाबले में रोहित शर्मा और ऋषभ पंत ने भी अच्छी वापसी की। टेस्ट क्रिकेट के एक रोमांचक खेल में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को ड्रॉ के लिए मजबूर किया, जिसमें हनुमा विहारी और अश्विन ने 40 से अधिक ओवरों तक बल्लेबाजी की, जिससे ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज काफी निराश हुए।

अंतिम टेस्ट में दोनों टीमों के पास सीरीज जीतने की समान संभावना थी। दोनों टीम एक-एक जीत और एक ड्रॉ के साथ आगे बढ़ीं। भारत के पहली पसंद वाले प्लेइंग इलेवन खिलाड़ियों में से अधिकांश चोटों या व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं के कारण बाहर हो गए थे। सिराज, जिन्होंने सिर्फ आधी टेस्ट सीरीज खेली थी, उन्होंने गेंदबाजी अटैक का नेतृत्व जारी रखा। रहाणे और चेतेश्वर पुजारा उस सीरीज के सभी चार टेस्ट खेलने वाले एकमात्र दो खिलाड़ी बने।

यह गाबा में था, जहां दशकों में किसी भी टीम ने कोई गेम नहीं जीता था। नए भारतीय गेंदबाजों के लिए जो कुछ छोटे कदम होने चाहिए थे, वह इतने बड़े पैमाने पर निकलकर सामने नहीं आए कि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज इससे परेशान हो जाएं।

जबकि पहली पारी में शार्दुल ठाकुर और वाशिंगटन सुंदर के बीच शतकीय साझेदारी चली, यहां पर पंत का कभी हार न मानने वाला रवैया देखने को मिला, जिसने दूसरी पारी में जीत को पक्का कर दिया। भारत ने ना केवल गाबा में जीत हासिल की, बल्कि उन्होंने इसे दूसरी पसंदीदा टीम के साथ वापसी कराई। सबकुछ काफी अच्छा और ठीक लग रहा था। यह सीरीज इतिहास में टेस्ट क्रिकेट के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक के रूप में दर्ज होगी।

इस जीत में ऊंची छलांग लगाते हुए भारतीय टीम ने भारत वापसी की और 4 मैचों की सीरीज के लिए इंग्लैंड का सामना किया। इंग्लैंड द्वारा पहला गेम 200 से अधिक रनों से जीतने के बाद, भारत ने फिर से वापसी की और अगले तीन मैचों को 317 रन, 10 विकेट और एक पारी और 25 रन से जीतकर WTC फाइनल में प्रवेश किया।

इस तरह की नाटकीय वापसी मानो भारत के लिए काफी आम प्रतीत होती है (ठीक आईपीएल में किसी टीम की तरह, हम ऐसा कह सकते हैं?) हालांकि, यह सब 18 जून को कीवी टीम के खिलाफ होने वाले बड़े मुकाबले के लिए तैयारी के जैसा है – जो डब्ल्यूटीसी में भारत के खिलाफ एक सीरीज जीतने वाली एकमात्र टीम है।

डब्ल्यूटीसी का अंत अंतिम खिताब के लिए शीर्ष दो टेस्ट टीमों के बीच होने वाले मुकाबले के साथ होगा। एक रोमांचक और यादगार लड़ाई, जिसकी शुरुआत के दो साल बाद यह कहानी क्रिकेट के इस रोमांचक सफर के अंत होने का इंतजार कर रही है!